Abhishek Shukla

कॉफ़ी

पूरी ख़त्म होने के बाद भी
छूट जाती है जितनी कॉफ़ी
कप के किनारों पर

उतना ही छूटा रह जाता है
हर पिछले प्रेम का अनुभव

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