Abhishek Shukla

मिट्टी से मिलो

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वृक्षों से जब भी मिलो
आदर से मिलो
बुज़ुर्ग हैं तुम्हारे
जीवन का अनुभव है इन्हें तुमसे कहीं ज़्यादा
महसूस करी है इन्होंने तुमसे कहीं अधिक ज़मीन
जिए हैं, तुमसे कहीं ज़्यादा मौसम
वह भी, जो जीने योग्य नहीं थे

आदर से मिलो
झीलों, पर्वतों, मंदिरों से
किन्हीं अक्षुण्ण आत्मीय पूर्वजों की तरह इनसे मिलो

और जब सभी से मिलने का समय समाप्त हो जाये
तब सबसे बुज़ुर्ग पूर्वज से मिलो

तब मिट्टी से मिलो
मिट्टी में मिलो
आदर से मिलो


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