Abhishek Shukla

मुझे याद करना

मुझे याद करना
जब समय मिले
जब समय ना मिले
समय निकाल कर याद करना

किसी काम से याद करना
जब कोई काम ना हो
तो कोई पुराना अधूरा काम खोज कर
उसे पूरा करने के लिए याद करना
पर मुझे याद करना

मैं दिखूँ ना कहीं
तो अमावस पर ग़ायब चाँद की तरह याद करना
मैं सुनाई ना दूँ
तो अंतिम ओ’ओ पक्षी के अंतिम गीत के तरह याद करना
मैं कहूँ ना कुछ
तो बुद्ध के मौन से पहले के अंतिम शब्दों की तरह याद करना
पर मुझे याद करना

मुझे याद करना
जैसे नवजात करते हैं माँ का स्पर्श याद
जैसे बंजर भूमि करती है उखड़े किसी पेड़ की उपस्थिति याद
जैसे आत्म ने किया होगा समस्त जीवन याद
ठीक शरीर छोड़ जाने से पहले

मुझे याद करना
किसी भूले उधार की तरह
हर पिछली मुलाक़ात
हर वार्ता याद करना
ब्याज समेत मूल वापस लेने के लिए
निकल पड़ना मुझे ढूँढने
जब तक मिल ना जाऊँ
तब तक याद करना
पर मुझे याद करना

मुझे याद करना
उस याद की तरह
जिसे याद नहीं करने की क़समें खा कर भी
हर रात याद करते हो

मुझे याद करना।

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