पराजित
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जिनकी रोशनी के भरोसे
तुम अन्धेरे में ख़ुद को खोजने निकलोगे
वही अंधेरे का फ़ायदा उठा
ग़ायब होंगे
तुम्हें अकेला छोड़ जाएँगे
तुम भारी चट्टान उठाओगे
इस उम्मीद में
कि वो तुम्हारे साथ हाथ बटायेंगे
लेकिन वही होंगे, जो चट्टान के ऊपर
अपने दो पत्थर और रख कर जाएँगे
तुम्हारे अपने ही होंगे
जो तुम्हें चोटिल देख कर
तुम्हारी मृत्यु की प्रतीक्षा करेंगे
तुम्हारे ज़मीन के पट्टे
बैंक अकाउंट में मौजूद धनराशि का मोल
जो तुम्हारी जान से ज़्यादा लगायेंगे
जो खाएँगे चोट लगी जगह से
नोच कर मांस तुम्हारा
जो तुम्हारे अवसाद के क्षणों में
सहानुभूति का स्वाँग रचेंगे
अपनी ईर्ष्या का काला
चुपके से तुम्हारी पीठ पर मल जाएँगे
“देखो, उसकी पीठ कितनी मैली है”
वही होंगे जो संसार को बतायेंगे
और उससे उपजे उपहास में
सपाट चहरा पहने
भीतर-ही-भीतर ठहाके लगायेंगे
जिनके भरोसे तुमने अपनी कल्पनाओं में जोखिम लिया था
हक़ीक़त में उस जोखिम के परिणामों के पश्चात
वही तुम्हें सबसे अधिक निराश करेंगे
तुम्हारे जोखिम को बेवक़ूफ़ी बता
तुम्हारा आत्मविश्वास पी जाएँगे
तुम्हारे अपने ही तुम्हें पराजित करेंगे
तुम्हारे अपने ही तुम्हारा ईश्वर लील जाएँगे