रहस्यों का पहरेदार
कितनी ही बार मैंने अपनी उदासियों को थाम कर रखा है कि वो आये और अपने एक आलिंगन से उनका निवारण कर दे। यूँ तो मैं कुछ घंटों में ही उदासी झाड़, ठीक होने का दिखावा कर, वापस काम पर लग सकता हूँ। थोड़ी देर ज़्यादा दिखावा करूँ तो शायद सच में ठीक भी महसूस होने लगे। लेकिन मैं फिर भी इंतज़ार करता हूँ।
मैं इंतज़ार करता हूँ क्योंकि मेरा निर्णय है कि मैं सिर्फ़ उसी से ठीक होना चाहता हूँ। मैंने समस्त संसार में, सिर्फ़ उसे नियुक्त किया है अपने रहस्यों का पहरेदार। सिर्फ़ उसे ही दी है मैंने उस कमरे की चाबी जिसके भीतर ‘मैं’ रहता हूँ। सिर्फ़ उसे बताया है वो पता जहां मैं अपनी उदासियाँ छुपाता हूँ।
मुझे गुमने से कोई डर नहीं। मैं और गुमना चाहता हूँ। क्योंकि मुझे पता है वो मुझे ढूँढ लेगी। मैंने जीवन-मरण के परे, नक्षत्रों के तालमेल में बिठाया है अपना पता। और वो एक कुशल ज्योतिष है, जिसे आसमानों के इशारे पढ़ने आते हैं। मुझे पता है, वो चाँदनी रात में भी आसमान को देखेगी, और मुझ तक पहुँच जाएगी।
मुझे पता है वो मुझे ढूँढ लेगी।